गढ़देशीय भ्रातृ मण्डल (पंजी.)
संस्था का परिचय (संक्षिप्त)
एकता, सहयोग, संस्कृति और सेवा के लिए समर्पित
गढ़देशीय भ्रातृ मण्डल (पंजी.1923) उत्तराखण्ड की अति प्राचीन एवं गढ़वाली समाज की प्रतिष्ठित संस्था है। जिसके हम सब गौरवमय 100वें वर्ष में प्रवेश होने पर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे है। उपरोक्त सभा का गठन देश की आजादी से पूर्व शिमला में वर्ष 1923 में हमारे पूर्वजों एवं वरिष्ठ समाजप्रेमियों की सकारात्मक एवं रचनात्मक सोच एवं पुरुषार्थ का ही परिणाम है। जो आज देश की राजधानी दिल्ली के दिल में गढ़वाल भवन (वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली चौक, पंचकुईंया रोड़, समीप झंडेवालान मेट्रो स्टेशन,नई दिल्ली) के स्वरूप में विद्यमान है। और समस्त गढ़वाल समाज के लिए पितृ-प्रसाद स्वरूप है।
उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता। यहाँ की हर घाटी, हर गाँव, हर पहाड़ पर कोई न कोई देवता निवास करते हैं। उत्तराखंड के स्थानीय देवी-देवता हर घर के रक्षक, हर गाँव के संरक्षक माने जाते हैं, यहाँ हर रस्म प्रकृति , संस्कृति और विरासत के करीब ले जाती है, और हर परंपरा में सामाजिक एकता की जड़ें मजबूत होती हैं।
उत्तराखंड… सिर्फ एक राज्य नहीं, अपितु एक संस्कार, एक परंपरा, एक जीवनशैली है।
यहाँ की संस्कृति पहाड़ों की ऊँचाइयों जितनी ऊँची और नदियों की धाराओं जितनी पवित्र है।
उत्तराखंड की इस परंपरा और विरासत को जीवित रखने के लिए गढ़देशीय भ्रातृ मंडल, दिल्ली अस्तित्व में आया
गढ़देशीय भ्रातृ मंडल – एक नाम नहीं है अपितु एक भावना है, एक धड़कन है जो हमें हमारे पहाड़ से, हमारी मिट्टी से और हमारी जड़ों से जोड़ती है।
दिल्ली की इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी में, जब कभी पहाड़ की हवा, वहाँ की बोली, वहाँ के लोग याद आते हैं — तब हमारा प्रयाश रहता की हम एक मंच से जुड़कर अपनों को अपनेपन की छाँव दे सकें। हम एक परिवार हैं। एक ऐसा परिवार जहाँ हर चेहरे पर अपनेपन की मुस्कान, हर दिल में सहयोग की भावना, और हर कदम में संस्कृति की खुशबू बसती है।
हमारा उद्देश्य समाज में एकता, प्रेम, सहयोग और सेवा भाव को बढ़ावा देना है। हम उत्तराखंड के प्रवासियों के बीच पारस्परिक सहयोग, सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक सरोकारों को मजबूत करने के लिए अनेक कार्यक्रम और गतिविधियाँ आयोजित करते हैं।
हमारे मंच पर आप न केवल उत्तराखंड की कला, संस्कृति और परंपराओं को करीब से देख पाएंगे, बल्कि समाज के हर वर्ग के साथ मिलकर सेवा और सहयोग के अवसर भी पाएंगे।
आप चाहे दिल्ली में हों या दुनिया के किसी कोने में – आपके भीतर उत्तराखंड हमेशा ज़िंदा रहे। गढ़देशीय भ्रातृ मंडल यही सेतु है – दिलों को जोड़ने का।

महासचिव – कमल सिंह रावत
प्रिय आजीवन सदस्यगण,
सादर प्रणाम,
हमारे संस्था गढ़देशीय भ्रातृ मण्डल (पंजी.) का 53वां वर्ष अत्यंत गौरवपूर्ण है। इस अवसर पर मैं आपको और हमारे समस्त सम्मानित आजीवन सदस्यों को दिल से कोटि-कोटि नमन करता हूं। यह संस्था आज अपने अस्तित्व के 53 वर्षों की गौरवमयी यात्रा के बाद समाज और राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने की स्थिति में है।
हमारी संस्था की नींव 1972 में रखी गई थी और 1973 में पंजीकरण के साथ इस यात्रा की शुरुआत हुई। उस समय के संघर्षों और कठिनाइयों को हम सभी ने मिलकर पार किया। हमारे पूर्वजों ने अपने कड़े परिश्रम और रचनात्मक सोच के साथ इस संस्था को आगे बढ़ाया, ताकि गढ़वाली समाज की संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण किया जा सके, और समाज में एकता और भाईचारे का माहौल बना रहे।

उत्तराखंड राज्य का परिचय
उत्तराखंड राज्य की स्थापना 9 नवम्बर 2000 को हुई थी। इससे पहले यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश राज्य का हिस्सा था। प्रारंभ में इसे उत्तरांचल नाम से जाना जाता था, किंतु 1 जनवरी 2007 को इसका नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।
उत्तराखंड के पूर्व में नेपाल, पश्चिम में हिमाचल प्रदेश, उत्तर में तिब्बत (चीन) और दक्षिण में उत्तर प्रदेश स्थित हैं। उत्तराखंड की शीतकालीन राजधानी देहरादून तथा ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण है। क्षेत्रफल की दृष्टि से देहरादून उत्तराखंड का सबसे बड़ा शहर है।
वैदिक पुराणों और हिंदू शास्त्रों में भी उत्तराखंड का उल्लेख मिलता है। हिंदू ग्रंथों में उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र को मानसखंड और गढ़वाल क्षेत्र को केदारखंड के नाम से जाना जाता है। पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर यह प्रमाणित होता है कि प्राचीन काल से ही उत्तराखंड में मानव का वास रहा है।

उत्तराखंड की विभूतियाँ
साहित्य व कला क्षेत्र
✅ शिवानी (गौरा पंत) – प्रसिद्ध हिंदी उपन्यासकारा, जिन्होंने कई चर्चित उपन्यास और कहानियाँ लिखीं।
✅ सुमित्रानंदन पंत – हिंदी के छायावादी युग के प्रसिद्ध कवि, जन्म कौसानी (जिला बागेश्वर) में हुआ।
✅ शैलेश मटियानी – प्रसिद्ध हिंदी कथाकार, जिन्होंने समाज के हाशिये पर खड़े लोगों की कहानियाँ लिखीं।
✅ चित्रा मुद्गल – चर्चित हिंदी लेखिका, मूल रूप से उत्तराखंड से।
✅ हेमवती नंदन बहुगुणा – राजनेता और समाजसेवी, जिनका साहित्य और सामाजिक क्षेत्र में भी योगदान रहा।
सभा के समाचार
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