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गढ़देशीय भ्रातृ मण्डल (पंजी.)

गढ़देशीय भ्रातृ मण्डल (पंजी.1923) उत्तराखण्ड की अति प्राचीन एवं गढ़वाली समाज की प्रतिष्ठित संस्था है। जिसके हम सब गौरवमय 100वें वर्ष में प्रवेश होने पर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे है। उपरोक्त सभा का गठन देश की आजादी से पूर्व शिमला में वर्ष 1923 में हमारे पूर्वजों एवं वरिष्ठ समाजप्रेमियों की सकारात्मक एवं रचनात्मक सोच एवं पुरुषार्थ का ही परिणाम है। जो आज देश की राजधानी दिल्ली के दिल में गढ़वाल भवन (वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली चौक, पंचकुईंया रोड़, समीप झंडेवालान मेट्रो स्टेशन,नई दिल्ली) के स्वरूप में विद्यमान है। और समस्त गढ़वाल समाज के लिए पितृ-प्रसाद स्वरूप है।

वर्तमान कार्यकारिणी

उपलब्धियाँ व भविष्य की योजना

सभा का संविधान

महासचिव – कमल सिंह रावत

गढ़देशीय भ्रातृ मण्डल (पंजी.) उत्तराखण्ड की अति प्राचीन एवं गढ़वाली समाज की प्रतिष्ठित संस्था है। जिसके हम सब गौरवमय 100वें वर्ष में प्रवेश होने पर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे है। उपरोक्त सभा का गठन देश की आजादी से पूर्व शिमला में वर्ष 1923 में हमारे पूर्वजों एवं वरिष्ठ समाजप्रेमियों की सकारात्मक एवं रचनात्मक सोच एवं पुरुषार्थ का ही परिणाम है। जो आज देश की राजधानी दिल्ली के दिल में गढ़वाल भवन (वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली चौक, पंचकुईंया रोड़, समीप झंडेवालान मेट्रो स्टेशन,नई दिल्ली) के स्वरूप में विद्यमान है। और समस्त गढ़वाल समाज के लिए पितृ-प्रसाद स्वरूप है। सभा अपने 100वें वर्ष की गौरवपूर्ण यात्रा के शुभअवसर पर अपने समस्त पूर्वजों एवं समस्त सम्मानित आजीवन सदस्यों को कोटि-कोटि नमन करती है। गढ़वाल हितैषिणी सभा का 100वां वर्ष निश्चित रूप से कई मायने में ऐतिहासिक है। गढ़वाल हितैषिणी सभा, गढ़वाली समाज एवं देश की अनेक प्राकृतिक एवं राष्ट्रीय आपदाएं जैसे (चमोली भूकंप, उडीÞसा त्रासदी, गुजरात के कच्छ, भुज एवं अन्य शहर) में अपनी सामर्थ्यानुसार तन-मन-धन से सहयोग भी किया और प्रधानमंत्री राहत कोष में सम्मान जनक अनुदान भी दिया। विगत सौ वर्षो में समाज को जोड़ने व उसकी एकता बनाए रखने के लिए सभा ने समाज एवं राष्ट्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जो सराहनीय एवं प्रशंसनीय है। परन्तु समाज हम सब से आशा करता है। कि हमारी आने वाली पीढ़िया, पूर्वजों की संजोई इस अनमोल धरोहर को इसकी प्रतिष्ठा के अनुरूप अगली शताब्दियों में ससम्मान प्रवेश कराएगी।

शुभकामनाओं सहित कमल सिंह रावत

महासचिव

हमारा उत्तराखंड का परिचय

गढ़देशीय भ्रातृ मण्डल (पंजी.) उत्तराखण्ड की अति प्राचीन एवं गढ़वाली समाज की प्रतिष्ठित संस्था है। जिसके हम सब गौरवमय 100वें वर्ष में प्रवेश होने पर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे है। उपरोक्त सभा का गठन देश की आजादी से पूर्व शिमला में वर्ष 1923 में हमारे पूर्वजों एवं वरिष्ठ समाजप्रेमियों की सकारात्मक एवं रचनात्मक सोच एवं पुरुषार्थ का ही परिणाम है। जो आज देश की राजधानी दिल्ली के दिल में गढ़वाल भवन (वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली चौक, पंचकुईंया रोड़, समीप झंडेवालान मेट्रो स्टेशन,नई दिल्ली) के स्वरूप में विद्यमान है। और समस्त गढ़वाल समाज के लिए पितृ-प्रसाद स्वरूप है। 

उत्तराखंड की विभूतियाँ

गढ़देशीय भ्रातृ मण्डल (पंजी.) उत्तराखण्ड की अति प्राचीन एवं गढ़वाली समाज की प्रतिष्ठित संस्था है। जिसके हम सब गौरवमय 100वें वर्ष में प्रवेश होने पर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे है। उपरोक्त सभा का गठन देश की आजादी से पूर्व शिमला में वर्ष 1923 में हमारे पूर्वजों एवं वरिष्ठ समाजप्रेमियों की सकारात्मक एवं रचनात्मक सोच एवं पुरुषार्थ का ही परिणाम है। जो आज देश की राजधानी दिल्ली के दिल में गढ़वाल भवन (वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली चौक, पंचकुईंया रोड़, समीप झंडेवालान मेट्रो स्टेशन,नई दिल्ली) के स्वरूप में विद्यमान है। और समस्त गढ़वाल समाज के लिए पितृ-प्रसाद स्वरूप है। 

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