हमारे बारे में

जब कोई उत्तराखंडी अपने पहाड़ों से दूर शहरों में आता है, तो वो अपने साथ लाता है यादों की पोटली, बोली की मिठास और परंपराओं का खज़ाना।
लेकिन दूर रहते-रहते कभी-कभी वो अपनापन धुंधला पड़ने लगता है… गढ़देशीय भ्रातृ मंडल उसी अपनापन को फिर से जीने की जगह है।
गढ़देशीय भ्रातृ मंडल सिर्फ एक संस्था नहीं, बल्कि हर उस दिल की आवाज़ है जो पहाड़ों से जुड़ा है। यह उन लोगों का संगम है जिन्होंने अपने गाँव-घर, अपनी मिट्टी, अपनी बोली, अपनी संस्कृति को दिल में संजोया और उसे कहीं भी, किसी भी कोने में जिंदा रखा है।
गढ़देशीय भ्रातृ मंडल, दिल्ली की स्थापना उन प्रवासी उत्तराखंडवासियों के समूह ने की थी जो दिल्ली में रहकर भी अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहते थे। संस्था का उद्देश्य एक ऐसा मंच प्रदान करना था जहाँ लोग एक-दूसरे के सुख-दुख में सहभागी बनें, अपनी संस्कृति और परंपराओं को आगे बढ़ाएं और सामाजिक जिम्मेदारियों में अग्रणी भूमिका निभाएं।
हमारा उद्देश्य सिर्फ मेल-मिलाप नहीं, बल्कि उत्तराखंड की विरासत, संस्कृति, परंपरा और धार्मिक चेतना को सहेज कर अगली पीढ़ी तक पहुँचाना है।

गढ़देशीय भ्रातृ मंडल भवन — स्थान एक, अवसर अनेक – आपकी हर खुशी का घर

“गढ़देशीय भ्रातृ मंडल भवन – आपके हर खास पल का साक्षी, हर याद का अविस्मरणीय हिस्सा”

गढ़देशीय भ्रातृ मंडल भवन सिर्फ ईंट-पत्थरों से बना कोई ढांचा नहीं, यह उन अनगिनत सपनों, भावनाओं और रिश्तों की सरजमीं है जहाँ हर कोई अपनेपन का एहसास करता है। यह भवन उत्तराखंड की सांस्कृतिक आत्मा, हमारी परंपराओं और सामाजिक जिम्मेदारियों का जीवंत प्रतीक है।

हमारा भवन उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि सभी राज्यों के भाइयों-बहनों के लिए खुला है। चाहे कोई विवाह समारोह हो, जन्मदिन का उत्सव, पारिवारिक मिलन, धार्मिक आयोजन या कोई सामाजिक कार्यक्रम – यह जगह हर रिश्ते, हर अवसर और हर खुशी को सँजोने के लिए बनी है।

हम रियायती दरों पर भवन उपलब्ध कराते हैं, ताकि कोई भी परिवार आर्थिक बोझ से मुक्त होकर अपनी खुशियों को खुलकर जी सके।
यह भवन हर उस व्यक्ति के लिए है, जो अपनापन ढूँढता है, जो परंपरा और संस्कृति को अपनी खुशियों में शामिल करना चाहता है। यह भवन एक घर है – जहाँ कोई पराया नहीं।