गतिविधियाँ और कार्यक्रम

गढ़देशीय भ्रातृ मंडल केवल एक संस्था नहीं, एक जीवंत परंपरा है — जहाँ हर आयोजन सिर्फ कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की जीवंत प्रस्तुति, विरासत की पुकार, और धार्मिक आस्था की पुनः स्थापना होती है।

संस्था के आयोजन सिर्फ तिथियों और मंचों तक सीमित नहीं, बल्कि वे उन भावनाओं और स्मृतियों को समेटते हैं, जो हमें अपने पर्वतीय मूल और देवभूमि की पवित्रता से जोड़े रखते हैं।

हम कोशिश करते हैं उत्तराखंड के बिभिन्न लोक पर्व , विरासत और संस्कृति अलग – अलग माध्यमों से आप तक पहुंचाए जिससे हमारी नयी पीढ़ी हमसे जुड़े रहे, अपने पहाड़ से जुड़े रहे,अपने लोक पर्व, विरासत और संस्कृति से अछूती न रहे।

धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजन

नंदा देवी महोत्सव, जागर, बग्वाल, होली महोत्सव, दीपावली मिलन, मकर संक्रांति भोज, जैसे कार्यक्रमों में देवभूमि की लोक आस्था, परंपरागत अनुष्ठान, और देव संस्कृति की झलक मिलती है।

उत्तराखंड के कत्यूर, पंवाड़, गढ़ रास, और ढोल-दमाऊ की गूंज, यहाँ दिल्ली में भी पहाड़ की वाणी-शक्ति को जीवंत बनाए रखती है।

लोक कला और सांस्कृतिक संरक्षण

संस्था लोक कलाकारों, गीत-संगीत, और नृत्य परंपराओं को मंच प्रदान करती है — जिससे हमारी सांस्कृतिक विरासत अगली पीढ़ी तक गर्व से पहुँचे।

विशेष बाल एवं युवा कार्यक्रमों के ज़रिए नई पीढ़ी को अपनी बोली, रीति-नीति, और जड़ों से जोड़ा जाता है।

सामाजिक और सामुदायिक सरोकार

संस्था समय-समय पर रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य जांच, शैक्षणिक सहायता, कैरियर मार्गदर्शन, और आपदा सहायता जैसे सेवा कार्यों में भी अग्रणी भूमिका निभाती है।

आपसी मेल-जोल, सहकारिता, और भाईचारे के माध्यम से समाज को एक मजबूत सांस्कृतिक परिवार में बदला जाता है।

विशेष आयोजन एवं भवन उपयोग

संस्था का अपना भवन है, जो न सिर्फ कार्यक्रमों का केंद्र है बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए खुला है – जहाँ मांगलिक कार्य, धार्मिक अनुष्ठान, और सामाजिक सम्मेलनों का आयोजन बड़े आत्मीय भाव से किया जाता है।

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